मंगलवार, 27 दिसंबर 2022

बुद्धिसेन ने शब्दों को नगीने की तरह पिरोया: प्रो. फ़ातमी

‘बुद्धिसेन शर्मा जन्मोत्सव-2022’ में जुटे कई महत्वपूर्ण साहित्यकार

कई पुस्तकों को हुआ विमोचन, तीन लोगों को किया गया सम्मानित



प्रयागराज। बुद्धिसेन की गजल सुनना पूरे काल खंड को सुनना होता है। उनकी पुस्तक ‘हमारे चाहने वाले बहुत हैं’ उनके व्यक्तित्व को बताती रहेगी। यह उद्गार मशहूर गीतकार यश मालवीय ने उत्तर मध्य सांस्कृतिक केंद्र के प्रेक्षागृह में दिया। गुफ़्तगू संस्था के तत्वावधान में दिवंगत शायर बुद्धिसेन शर्मा का जन्मोत्सव उनके जन्म दिवस पर 26 दिसंबर को  मनाया गया। इस अवसर पर बुद्धिसेन शर्मा की पुस्तक ‘हमारे चाहने वाले बहुत हैं’, अशोक श्रीवास्तव ‘कुमुद’ के काव्य संग्रह ‘सोंधी महक’ और गुफ़्तगू के नये अंक का विमोचन भी किया गया। वरिष्ठ शायर डॉ. असलम इलाहाबादी, वरिष्ठ पत्रकार मुनेश्वर मिश्र और शायरा अना इलाहाबादी को ‘बुद्धिसेन शर्मा सम्मान’ से नवाजा गया।

 कार्यक्रम में गीतकार यश मालवीय ने कहा कि बुद्धिसेन शर्मा गंगा जमुना तहजीब के जिंदा मिशाल थे। उनकी गजलों को सुनना ऐसा लगता है कि पूरा एक काल खंड को सुन रहे हैं। वो इलाहाबाद के इतिहास पुरूष रहे हैं। शर्मा जी गजल में ही रहते जीते थे। इश्क सुल्तानपुरी ने गुरु शिष्य परंपरा में नया आयाम दिया, यह आयोजन कराकर वह बुद्धिसेन शर्मा के श्रवण कुमार बन गए। दरअसल लेखक की असल जिंदगी उसकी मौत के बाद ही शुरू होती है। इम्तियाज अहमद गाजी ने बुद्धिसेन शर्मा की किताब का प्रकाशन करके उन्हें फिर से जीवंत कर दिया। अब इश्क़ सुल्तानपुरी और इम्तियाज अहमद गाज़ी पंडित जी की दो आंखे हैं। अपने अध्यक्षीय संबोधन में अली अहमद फातमी ने कहा कि हम बुद्धिसेन शर्मा को मीर तकी के समकक्ष मान सकते हैं। सादगी से शेर कहना उनकी शख़्सियत की निशानी है। जिंदगी का जो फलशफ़ा उन्हेंने सीखा वह उनकी शायरी में दिखता है। वो सादगी के साथ सामने के शब्द उठाते हैं। उन शब्दों को शायरी में नगीने की तरह पिरोते थे। सर से पांव तक शायर थे खुद ही उर्दू ग़ज़ल थे। उनकी शायरी में गजब की सादगी एक फकीरी थी।

 मशहूर शायर अजीत शर्मा ने अशोक श्रीवास्तव ‘कुमुद’ की पुस्तक ‘सोंधी महक’ के बारे में कहा कि इनकी 28 कविताओं में गांव के ज़न जीवन को उकेरा गया है। गांव की तमाम विसंगतियों एवं आडम्बरों पर करारा प्रहार किया। वरिष्ठ पत्रकार मुनेश्वर मिश्र ने कहा कि बुद्धिसेन शर्मा के जन्मोत्सव का आयोजन कराने और उनकी रचनाओं को पुस्तक के रूप में प्रकाशित करने को ऐतिहासिक पहल बताया। उन्होंने कहा कि गुफ़्तगू परिवार से जुड़ने के बाद बुद्धिसेन शर्मा जी से ज्यादा जुड़ाव हुआ। उनकी गज़ल ही उनके व्यक्तित्व का बयान करती है। हमारे चाहने वाले बहुत हैं इसकी एक बानगी है। सोंधी महक गांव के जीवन से जुड़ी हुई कविता संग्रह है। 

मुख्य अतिथि पूर्व पुलिस महानिरीक्षक बद्री प्रसाद सिंह ने इश्क सुल्तानपुरी के प्रयास की सराहना की। उन्होंने गुफ़्तगू के 20 साल के सफर को मील का पत्थर बताया। इंस्पेक्टर के०के० मिश्र ‘इश्क’ सुल्तानपुरी ने उपस्थित सभी लोगों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि बुद्धिसेन शर्मा हमारे आत्मिक गुरु थे। उनकी सींख और यादों की सँजोने का सही तरीका उनकी नवीन रचनाओं का संग्रह कर उसका प्रकाशन रहा है। मेरे साथ रहते हुए उन्होंने वो सारे गुर हमें सिखाते रहे जिनका उन्हें इल्म था। सीएमपी डिग्री कॉलेज की अध्यापिका मालवीय, डॉं. सरोज सिंह ने भी बुद्धिसेन शर्मा और अशोक श्रीवास्तव ‘कुमुद’ की पुस्तक पर विचार व्यक्त किया। संचालन शैलेंद्र जय ने किया। 

दूसरे सत्र में अखिल भारतीय मुशायरे का आयोजन हुआ। जिसमें देशभर के शायरों ने कलाम पेश किया।ं इनमें वाराणसी के शंकर बनारसी, वेद प्रकाश शुक्ल ‘संजर’, जौनपुर से इबरत जौनपुरी, औरैया से अयाज अहमद अयाज, मशहूर व्यंग्यकार फरमूद इलाहाबादी, तलब जौनपुरी, अशोक श्रीवास्तव, अजीत शर्मा, विभा लक्ष्मी विभा, नरेश कुमार महारानी, अनिल मानव, इश्क सुल्तानपुरी, शिवपूजन सिंह, क्षमा द्विवेदी, शाहिद सफर, विवेक सत्यांशु, असद गाजीपुरी आदि शामिल रहे।


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