गुफ़्तगू के शहनाज़ फ़ातमी/शगुफ़्ता रहमान अंक का हुआ विमोचन
प्रयागराज। देश के मौजूदा हालात में भाषाई एकता की सबसे अधिक आवश्यकता है, ताकि भाषा के आधार पर लोग एक दूसरे को जाने समझें और उस पर काम करें। ऐसे ही काम को अंजाम दे रही है गुफ़्तगू पत्रिका। इसके हर अंक में उर्दू ंके साथ हिन्दी साहित्य भी भरपूर मात्रा में प्रकाशित हो रही है। यही वजह है दोनों ही भाषाओं के लोगों में यह पत्रिका समान रूप से लोकप्रिय है। मौजूद अंक में जहां डाॅ. बशीर बद्र और मुनव्वर राना जैसे लोगों की ग़ज़लें छपी हैं तो दूसरी ओर प्रो. सोम ठाकुर और यश मालवीय की भी कविताएं हैं। यह बात 28 फरवरी को गुफ़्तगू की ओर से करैली स्थित अदब घर में आयोजित विमोचन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि मशहूर उर्दू अदीब डाॅ. अजय मालवीय ने कही।
इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने कहा कि गुफ़्तगू के मौजूद अंक में शम्सुरर्हमान फ़ारूक़ी का एक महत्वपूर्ण लेख ‘क्लासिकी ग़ज़ल की शेरीआत’ शीर्षक से प्रकाशित हुआ है, सभी ग़ज़ल लिखने वालों को यह लेख अवश्य पढ़ना चाहिए। इसी तरह इस ंअंक में डाॅ. बशीर बद्र, वसीम बरेलवी, मंज़र भोपाली, मुनव्वर राना जैसे नामचीन लोगों की भी ग़ज़लें नए लोगों के साथ छपी है। हमारी हमेशा से कोशिश रही है कि नामचीन लोगों के साथ नए लोगों को भी स्थान दिया जाए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो. सुरेश चंद्र द्विवेदी ने कहा कि आज के दौर में जब बड़ी-बड़ी साहित्यिक पत्रिकाएं बंद हो रही हैं, गुफ़्तगू का प्रकाशन जारी है और इसमें निरंतर निखार आ रहा है। गुफ़्तगू जैसी पत्रिका एक तरह से साहित्यिक नगरी प्रयागराज की पहचान बन गई है। यह पत्रिका पूरे देश के साथ कुछ दूसरों मुल्कों में भी पढ़ी जा रही है। विशिष्टि अतिथि संजय सक्सेना ने कहा कि आज के दौर में साहित्यिक पत्रिका निकलना बहुत बड़ा और कठिन काम है, लेकिन इम्तियाज़ ग़ाज़ी यह काम बेहतरीन तरीके से कर रहे हैं। कार्यक्रम का संचालन फ़रमूद इलाहाबादी ने किया।
दूसरे दौर में मुशायरे का आयोजन किया गया। डाॅ. नीलिमा मिश्रा, शैलेंद्र जय, अफसर जमाल, श्रीराम तिवारी, शिवाजी यादव, असद ग़ाज़ीपुरी, राम कैलाश प्रयागवासी, प्रभाशंकर शर्मा, पूजा कुमारी रूही, प्रभाकर केसरी, राकेश मालवीय, जीशान चमन, प्रकाश सिंह अश्क, सुजाता सिंह, आसिफ उस्मानी आदि ने कलाम पेश किया।
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