मंगलवार, 8 दिसंबर 2020

कर्तव्यनिष्ठा के लिए जाने जाते हैं इष्टदेव प्रसाद

                                         

इष्टदेव प्रसाद राय


                                                    -इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी

 इष्टदेव प्रसाद राय चर्चित प्रशासनिक अधिकारी रहे हैं। इन्होंने अपनी इमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से एक मिसाल पेश किया है, विभिन्न प्रतिकूल हालात में भी कभी डिगे नहीं, जिसकी वजह से अपनी सेवा के दौरान दो बार सस्पेंड भी होना पड़ा है। मगर काम के प्रति इमानदारी में कभी कोई कमी नहीं आई। 30 मार्च 1953 को उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के सूरजपुर गांव में जन्मे इष्टदेव प्रसाद के पिता स्व. जमुना राय कांग्रेस के नेता थे। इंटर काॅलेज के प्रधानाचार्य रहने के साथ छह वर्ष तक ब्लाक प्रमुख रहे थे। मां स्वर्गीय प्रेमा कुमारी राय कुशल गृहणि थीं। तीन भाई और तीन बहनों में इष्टदेव सबसे बड़े हैं।

 आपने कक्षा आठ तक की पढ़ाई गांव में पूरी की। इसके बाद हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की पढ़ाई विक्ट्री इंटरमीडिएट काॅलेज से किया। बीएस-सी इलाहाबाद विश्वविद्याल से, एम.ए. और लाॅ की पढ़ाई गोरखपुर विश्वविद्यालय से पूरा किया। 1976 में लाॅ की पढ़ाई पूरी करते ही इसी वर्ष सेल्स टैक्स आफिसर के रूप में आपकी नियुक्ति हो गई। 1977 में प्रशासनिक न्यायिक सेवा में चयन हुआ, फिर 1978 में पीसीएस एक्सक्यूटिव में चयन हो गया। इस चयन के बाद पहली नियुक्ति अलीगढ़ एसडीएम के रूप में 1980 में हुई। वाराणसी और बाराबंकी में एसडीएम बनने के बाद 1986 में इलाहाबाद के एसडीएम हुए। दिसंबर 1986 में ही इलाहाबाद विकास प्राधिकरण के संयुक्त सचिव के रूप में आपकी नियुक्ति हुई, जहां जनवरी 1991 तक कार्यरत रहे।

 1991 में ही पौड़ी गढ़वाल में उपनिदेशक समाज कल्याण बने, 1991 में ही अपर जिलाधिकारी परियोजना, 1992-93 में उपसंचालक चकबंदी बने। 1993 में ही रसड़ा के चीनी के प्रधान प्रबंधक बनाए गए। यह मिल एक अर्से से घाटे में चल रही थी, कर्मचारियों को समय से वेतन तक नहीं मिल रहा था। इष्टदेव प्रसाद ने अपने कुशल नेतृत्व में इस मिल का संचालन तीन साल तक किया, सभी कर्मचारियों का पेमेंट कराया, मिल को फायदे में ले आए और इसके लिए सरकार से कोई आर्थिक मदद भी नहीं लिया। 1996 में आपकी नियुक्ति लोक सेवा आयोग में संयुक्त के रूप में हुई, जहां आपने 2001 तक काम किया, वर्ष 1998 में ही आप आइएएस कैडर के अधिकारी हो गए। वर्ष 2001 में आप इलाहाबाद विकास प्राधिकरण के सचिव बनाए गए। फिर 2002 में जौनपुर के मुख्य विकास अधिकारी और इसी पद पर 2003 में इलाहाबाद में नियुक्त हुए। वर्ष 2005 में सुल्तानपुर के सीडीओ बने। वर्ष 2006 में विशेष सचिव समाज कल्याण बनाए गए, 2007 से 2011 तक विशेष सचिव लोक निर्माण विभाग रहे। वर्ष 2012 में राज्य राज्यमार्ग प्राधिकरण में मुख्य कार्यपालक अधिकारी बनाए गए। वर्ष 2012 में ही कानपुर में आयुक्त एवं प्रशासक राम गंगा कमाण्ड बनाए गए, यही से 2013 में सेवानिवृत्त हो गए।

पूरे कार्यकाल के दौरान वर्ष 2005 और 2008 में निलंबित भी किए गए। 2005 में इलाहाबाद सीडीओ रहने के दौरान निलंबित हुए थे, 40 दिन तक निलंबित रहे। वर्ष 2008 में जब वे विशेष सचिव समाज कल्याण थे, उत्तर प्रदेश में बसपा की सरकार थी। इसी समय डाॅ. श्रीकांत श्रीवास्तव की एक पुस्तक छपी, जिसका नाम था ‘सुल्तानपुर आज और कल’। इस पुस्तक की तारीफ में इष्टदेव प्रसाद की भी कुछ पंक्तियां छपी थीं, इसी पर उन्हें सस्पेंड कर दिया गया। संस्पेंशन के खिलाफ़ हाईकोर्ट गए, जहां उनकी जीत है। इसके खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट गई, वहां से भी सरकार हार गई। जिसके बाद उनका संस्पेंशन समाप्त हुआ।

 इष्टदेव प्रसाद राय की तीन बेटियां और एक बेटा है। बेटा महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय में प्रोफेसर है, तीन बेटियों की शादी हो गई है। वे वर्तमान समय में कमला नेहरु नगर में रहते हैं।


 (गुफ़्तगू के जुलाई-सितंबर 2020 अंक में प्रकाशित )



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