बुधवार, 21 नवंबर 2018

गुफ्तगू के अक्तूबर-दिसंबर: 2018 अंक में


3. संपादकीय: किसे कहते हैं साहित्य में योगदान
4. डाक: आपके ख़त
5-11. ग़ज़लें:  डाॅ. बशीर बद्र, वसीम बरेलवी, मुनव्वर राणा, इब्राहीम अश्क, अरविंद असर, एजाज फ़ारूक़ी, क़ादिर हनफ़ी, इशरत मोइन सीमा, शिवशरण बंधु हथगामी, डाॅ. सादिक़ देवबंदी, आर्य हरीश कोशलपुरी, राजेंद्र स्वर्णकार, डाॅ. नीलिमा मिश्रा, अंजू सिंह ‘गेसू’, डाॅ. कविता विकास, रियाज़ कलवारी इटावी, सुमन ढीगरा दुग्गल, संगीता चैहान विष्ट, चारु अग्रवाल ‘गुंजन’, भकत ‘भवानी’, रमा प्रवीर वर्मा, डाॅ. लक्ष्मी नारायण बुनकर, संजीव गौतम, डाॅ. रंजीता समृद्धि, अनिल मानव, सुमन सिंह, पीयूष मिश्र ‘पीयूष’, यासीन अंसारी
12-17. कविताएं: कैलाश गौतम, यशपाल सिंह, इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी, दीप्ति शर्मा, चांदनी सेठी, योगेंद्र कुमार मिश्र ‘विश्वबंधु’, रचना सक्सेना वंदना पांडेय, शकीला सहर, इति शिवहरे, प्रदीप बहराइची, नीतू गुप्ता, रुचि श्रीवास्तव, डाॅ. नीलम रावत, जयति जैन ‘नूतन’
18-22. इंटरव्यू: नीलकांत
23-25. चौपाल: पठनीयता का संकट कैसे दूर करें ?
26. विशेष लेख: एक गरीब और छोटे आदमी की शहादत - जैनुल आबेदीन ख़ान
27-32. तब्सेरा: सिसकियां, हुस्ने बयां, खुश्बू द्वारे-द्वारे, अक़ाब, जयपुर प्रीत की बाहों में, रक्तबीज आदमी है, अल्लामा, सूरज डूब गया
33-34. तआरुफ: निधि चैधरी
37-40. अदबी ख़बरें
41. गुलशन-ए-इलाहाबाद: राम नेरश त्रिपाठी
42-43. ग़ाज़ीपुर के वीर-4: राही मासूम रज़ा
44-75. परिशिष्ट-1: डाॅ. ज़मीर अहसन
44. डाॅ. ज़मीर अहसन का परिचय
45-46. ग़ज़ल का मिज़ाज दां और रम्ज आशना - प्रो. अली अहमद फ़ातमी
47-48. सरापा शायरी थे डाॅ. ज़मीर अहसन - यश मालवीय
49-51. दुनिया वालों की हर राह गुजर से दूर चले- अतिया नूर
52. बावक़ार इंसान थे डाॅ. ज़मीर अहसन- इक़बाल अशहर
53-74. डाॅ. ज़मीर अहसन की ग़ज़लें
75-104. परिशिष्ट -2: फ़रमूद इलाहाबादी
75. फ़रमूद इलाहाबादी का परिचय
76-77. फ़रमूद के ख़ज़ाने में नगीनों का भंडार - शिवाशंकर पांडेय
78-79. समाज के हर पहलू पर करारा व्यंग्य - सायरा भारती
80. हास्य-व्यंग्य के माध्यम से समाज का कटु सत्य - प्रिया श्रीवास्तव ‘दिव्यम्’
81-104. फ़रमूद इलाहाबादी की ग़ज़लें


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