मंगलवार, 8 मई 2018

विपरीत हालात में गुफ्तगू का कार्य सराहनीय

गुफ्तगू साहित्य समारोह-2018’ का किया गया आयोजन


 ‘सुभद्रा कुमारी चाहौन’ और ‘बेकल उत्साही’ सम्मान से नवाजे गए रचनाकार
इलाहाबाद। आज लोग साहित्य से दूर भाग रहे हैं। पठन-पाठन लगातार कम होता जा रहा है। अधिकतर साहित्यिकार अपनी रचनाओं से लोगों को आकर्षित करने में नाकामयाब हैं। ऐसे विपरीत हालात में पिछले 15 वर्षों से गुफ्तगू का साहित्यिक सफ़र प्रासंगिकता के साथ जारी है, यह बेहद सराहनीय है। आज के माहौल यह कार्य बेहद ख़ास हो जाता है। यह बात वरिष्ठ साहित्यकार नीलकांत ने ‘गुफ्तगू’ की ओर से 29 अप्रैल को इलाहाबाद स्थित हिन्दुस्तानी एकेडेमी में आयोजित ‘गुफ्तगू साहित्य समारोह-2018’ के दौरान कही। कार्यक्रम के दौरान 11 महिला साहित्यकारों ’सुभद्रा कुमारी चौहान सम्मान’ और 15 साहित्यकारों को ‘बेकल उत्साही सम्मान’ प्रदान किया गया। साथ ही ‘गुफ्तगू’ के महिला विशेषांक-3 और 14 पुस्तकों का विमोचन किया गया। संचालन मनमोहन सिंह तन्हा ने किया।  अपने संबोधन में गुफ्तगू के अध्यक्ष इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने कहा कि पिछले 15 वर्षों से गुुफ्तगू के सफ़र को जारी रखने में तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ा। लेकिन कुछ लोगों के सहयोग से यह सिलसिला जारी है, और आगे भी जारी रहेगा। गीतकार यश मालवीय ने कहा कि सम्मान के साथ फूल होता है तो कांटों का ताज भी होता है, इसलिए जिन लोगों को आज सम्मानित किया गया है, उनकी जिम्मेदारी बन जाती है कि अपनी लेखनी और सक्रियता यह साबित करें कि उनकों सम्मानित करके सही किया गया है। श्री मालवीय ने कहा कि जब गुफ्तगू की शुरूआत हुई थी तब यह अंदाज़ा नहीं था कि यह सफ़र इतना लंबा होगा, लेकिन इम्तियाज गाजी ने अपनी सक्रियता से इसे सफल बनाया है। 
नंदल हितैषी ने कहा कि पठनीयत का संकट बढ़ा है, ऐसे में साहित्यिक पत्रिका का सफ़र इतना लंबा तय करना एक मिसाल है। गुफ्तगू ने अपनी सक्रियतो से लोगों को जोड़े रखा है, नये-नये रचनाकारों को आगे लाने काम किया है। डाॅ. असलम इलाहाबदी ने कहा कि इम्तियाज़ गाजी की सक्रियता ने इलाहाबाद की अदबी सरगर्मी को बनाए रखा है, ऐसी कोशिश का समर्थन होना चाहिए। उमेश नारायण शर्मा ने गुफ्तगू के कार्यों की सराहना की और बेहतर भविष्य की उम्मीद जताई।
दूसरे दौर में मुशायरे का आयोजन किया गया। जिसमें प्रभाशंकर शर्मा, अनिल मानव, नरेश कुमार महरानी, धर्मेंद्र श्रीवास्तव, डाॅ. पीयूष दीक्षित, अमित वागर्थ, रमेश नाचीज़, सुनील दानिश, मयंक मोहन, भोलानाथ कुशवाहा, वाकिफ अंसारी, डाॅ. नईम साहिल,  केदारनाथ सविता, डाॅ. अनुराधा चंदेल ओस, रुचि श्रीवास्तव, फरमूद इलाहाबादी, रामनाथ शोधार्थी, सागर आनंद, शिवम हथगामी, डाॅ. वीरेंद्र तिवारी, शैलेंद्र जय, अजीत शर्मा ‘आकाश’, अपर्णा सिंह, शिवा सारंग, डाॅ. नीलिमा मिश्रा, शिबली सना, जमादार धीरज आदि ने कलाम पेश किया। 

इन्हें मिला सुभद्रा कुमारी चौहान सम्मान
 नीरजा मेहता (ग़ाज़ियाबाद), मीनाक्षी सुकुमारन (नोएडा), डाॅ. ज्योति मिश्रा (बिलासपुर, छत्तीसगढ़), फौजिया अख़्तर (कोलकाता), डाॅ. यासमीन सुल्ताना नकवी (इलाहाबाद), माधवी चैधरी (सिवान, बिहार),  कांति शुक्ला (भोपाल), डाॅ. श्वेता श्रीवास्तव (लखनऊ), मंजू वर्मा (इलाहाबाद), डाॅ. ओरीना अदा (भोपाल) मंजू जौहरी (बिजनौर, उत्तर प्रदेश)। 

इन्हें मिला बेकल उत्साही सम्मान
रामकृष्ण सहस्रबुद्धे (नाशिक), डाॅ. आनंद किशोर(दिल्ली), आर्य हरीश कोशलपुरी (अंबेडकर नगर),  मुनीश तन्हा (हमीरपुर, हिमाचल प्रदेश), अब्बास खान संगदिल (हरई जागीर, मध्य प्रदेश), डाॅ. इम्तियाज़ समर (कुशीनगर), मुकेश मधुर (अंबेडकर नगर), रामचंद्र राजा(बस्ती, उत्तर प्रदेश), शिवशरण बंधु (फतेहपुर), डाॅ. रवि आज़मी (आज़मगढ़), डाॅ. वारसी अंसारी (फतेहपुर), सुनील सोनी गुलजार (अंबेडकर नगर), ऋतंधरा मिश्रा (इलाहाबाद), डाॅ. विक्रम (इलाहाबाद), सम्पदा मिश्रा (इलाहाबाद)।


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