प्रो. अमर सिंह इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी
प्रो. अमर सिंह के पिता बाबू अचल सिंह रायबरेली जिले के तालुकेतार थे, माता रानी चंद्र कुमारी देवी कुशल गृहणी थीं। 30 दिसंबर 1932 को जन्मे प्रो. अमर सिंह ने प्राइमरी की शिक्षा रायबरेली में ही हासिल की,
प्रतापगढ़ से 1949 में हाईस्कूल और वाराणसी के उदय प्रताप कालेज से इंटरमीडिएट परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद इन्होंने स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हासिल की। इसके बाद प्रो. देव साहब ने उन्हें इलाहाबाद विश्वविद्यालय में ही अध्यापन कार्य के लिए नियुक्ति करा दी। इसी विश्वविद्यालय से 1992 में सेवानिवृत्त हुए। इस दौरान इनके मशहूर शायर फ़िराक़ गोरखपुरी से अभिन्न संबंध हो गए। अध्यापन कार्य के दौरान प्रो. सिंह इलाहाबाद विश्वविद्यालय टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे। सेवानिवृत्ति के बाद 1992 से 1994 उच्चतर माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के सदस्य रहे। प्रो. सिंह की कोई संतान नहीं है, अपने छोटे भाई के परिवार के साथ इलाहाबाद में 24, जवाहर लाल नेहरु पर ही रहते हैं। छोटे भाई की तीन पुत्रियां हैं, बड़ी पुत्री दिल्ली में रहतीे है, मझली सीएमपी डिग्री कालेज में अध्यापक हैं और तीसरी बंगाल में रहती हैं। प्रो. सिंह ने साहित्य, संस्कृति और इतिहास का गहरा अध्ययन किया है। इनके साथ बैठकर किसी भी विषय की गहरी जानकारी हासिल की जा सकती है। लेकिन इनकी कमी यह है कि इन्होंने कभी लेखन नहीं किया, खुद इनका कहना है कि लिखना बहुत मेहनत वाला काम लगता है, इसलिए कभी लिखने का प्रयास ही नहीं किया। 1984 का वाक्या याद करते हुए प्रो. सिंह बताते हैं कि अमिताभ बच्चन इलाहाबाद से लोकसभा का चुनाव लड़ने आए थे। तभी उनके पिता और मशहूर साहित्यकार हरिवंश राय बच्चन भी इलाहाबाद आए। हरिवंश राय ने इलाहाबाद विश्वदविद्यालय प्रो. सिंह को आधुनिक कविता पढ़ाई थी, उन्होंने प्रो. सिंह को मिलने के लिए गंगा नाथ हास्टल में बुलाया और संदेश दिलवाया कि यह मुलाकात बिल्कुल भी राजनैतिक नहीं होगी। उनके बुलावे प्रो. मिलने गए तो बच्चन जी ने गेट पर ही उनका हाथ पकड़ लिया। बड़ी आत्मीयता से इलाहाबाद और देश-समाज की समस्याओं पर चर्चा की। फ़िराक़ गोरखपुरी से उनके बड़े आत्मीय संबंध रहे हैं। फ़िराक़ साहब और सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ गहरे दोस्त थे । प्रो. सिंह बताते हैं कि अक्सर निराला जी गोश्त लेकर फ़िराक़ साहब के घर आते थे वही बनता था, तीन लोगमिलकर सेवन करते, लेखन और देश-समाज के हालात पर चर्चा करते। इसके बाद प्रायः रात दो बजे निराला जी अपने घर दारागंज के लिए निकलते, तब रिक्शा किया जाता और अक्सर ही रिक्शे का किराया 25 पैसा फ़िराक़ साहब अदा करते थे। फ़िराक़ साहब की दो पुत्रियों बारे में प्रो. सिंह बताते हैं कि उनकी दो पुत्रियां बिहार में ब्याही थीं, लेकिन अब उनके बारे में कुछ पता नहीं है। अक्सर यह बात चर्चा में आती है कि फ़िराक़ साहब हिन्दी कविताओं और साहित्य का माखौल उड़ाते थे, लेकिन प्रो. सिंह इसको ग़लत बताते हैं, उनका कहना है कि फ़िराक़ हिन्दी प्रेमी थे, लेकिन वे हिन्दी के नाम पर घालमेल और नकली हिन्दी का विरोध करते थे। फ़िराक़ साहब सौंदर्य प्रेमी थे, सुंदरता कविता की परंपरा रही है, वे बदसूरती पसंद नहीं करते थे। निराला जी उर्दू शायरी के बहुत बड़े प्रेमी थे, उनके आइडियल शायर ग़ालिब थे। प्रो. सिंह का कहना है कि मीर बहुत बड़े शायर हैं, लेकिन उन्होंने परिस्कृत उर्दू का ही प्रयोग अधिक किया, जबकि ग़ालिब ने उस उर्दू भाषा को संवारने का काम किया। हिन्दी की नई कविता के बारे में प्रो. सिंह का कहना है कि वर्तमान नई कविता तो कविता ही नहीं है, अब हिन्दी कविता का मुख्य विषय ही खो गया है। एक तरह से भटक सी गई है हिन्दी कविता। हिन्दी दिल्ली पहुंचकर विलुप्त सी हो गई, वास्तविक हिन्दी साहित्य एक तरह से भटकता हुआ दिख रहा है। उर्दू शायरी के बार में उनका कहना है कि अब यह उर्दू प्रोग्रेसिव प्रधान हो गई है ग़ालिब और मीर के बाद फ़ैज़ का युग आया, इसके बाद उर्दू शायरी में कोई उल्लेखनीय शायर सामने नहीं आया। प्रो. सिंह का कहना है कि हिन्दी और उर्दू दोनों ही भाषाओं में वर्तमान में बड़े कवियों का टोटा सा है। हिन्दी और उर्दू साहित्य लिखे जा रहे आलोचना की बात पर प्रो. सिंह कहते हैं कि स्वच्छ मानिकता से आलोचना लेखन का काम नहीं किया जा रहा है। अलग-अलग ग्रुप बने हुए है, एक दूसरे ग्रुप के लोगों को नीचा दिखाने का कामा किया जा रहा है। यह स्थिति हिन्दी और उर्दू दोेनों की आलोचना की है।
( गुफ्तगू के दिसंबर-2014 में प्रकाशित )
नोट- इस कालम में अब तक शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी और कॉमरेड ज़ियाउल हक के बारे में प्रकाशित किया जा चुका है। |
बाएं से- प्रो अमर सिंह, रविनंदन सिंह और इम्तियाज़ अहमद गाज़ी |
बुधवार, 7 जनवरी 2015
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1 टिप्पणियाँ:
अमर सिंह जी का व्यक्तित्व बहुत सहज और सरल है | इनके बारे में और अधिक जानकरी यहाँ मिली बहुत अच्छा लगा |
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