गुरुवार, 25 मई 2023

समय की बात करती हैं प्रमोद दुबे की कहानियां

डॉ. समर की ग़ज़लें वास्तविक समय का चित्रण

दो किताबों के विमोचन पर बोले मशहूर न्यूरो सर्जन डॉ प्रकाश खेतान



प्रयागराज। आज के समय में अपनी रचनाओं के जरिए समाज की विडंबनाओं को उकेरना, ग़लत चीज़ों के खिलाफ़ अपनी रचनाओं के जरिए खड़ा होना बड़ी बात हैं। कहानियों और ग़़ज़लों के जरिए क़लमकार अपनी बात कहता आया है और आगे भी कहता रहेगा। यह चीज़ स्पष्ट रूप से प्रमोद दुबे की कहानी संग्रह ‘घोंसला’ और डॉ. इम्तियाज़ समर के ग़ज़ल संग्रह ‘मोहब्बत का समर’ में दिखाई देती हैं। इन दोनों ही लोगों ने वर्तमान समय की विसंगतियों को समझा, देखा और परखा है, इसी हिसाब से सृजन किया है। यह बात 21 मई 2023 को साहित्यिक संस्था ‘गुफ़्तगू’ की ओर से करेली स्थित अदब घर में अयोजित कार्यक्रम के दौरान  मशहूर न्यूरो सर्जन और कवि डॉ. प्रकाश खेतान ने अपने वक्तव्य मेें कही।

श्रीप्रकाश मिश्र


गुफ़्तगू के अध्यक्ष इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने कहा कि प्रमोद दुबे और डॉ. इम्तियाज़ समर 21वीं सदी के उल्लेखनीय रचनाकार हैं। इन्होंने अपनी रचनाओं से शानदार उपस्थिति दर्ज़ कराई है। डॉ. वीरेंद्र तिवारी ने कहा कि प्रमोद दुबे ने अपनी कहानियों में समाज की विसंगतियों को बहुत ही मार्मिक ढंग से रेखांकित किया। रेलवे में नौकरी करते हुए श्री दुबे ने जो-जो अनुभव किया, उसका बहुत सटीक ढंग से मूल्यांकन और रेखांकन किया है। कहीं-कहीं इनकी कहानियों में प्रेमचंद की कहानियों के पुट भी मिलते हैं।



 डॉ. प्रकाश खेतान

अजीत शर्मा ‘आकाश’ ने कहा कि डॉ. इम्तियाज़ समर को ग़ज़ल की बारीकियों और छंद-बह्र की बहुत अच्छी जानकारी हैं। यही वजह है कि इनके कहन में ग़ज़ल का सलीक़ा और परंपरा पूरी तरह से जगह-जगह दिखाई देती है। आज के समय में ऐसी ही ग़ज़लें लिखे जाने की आवश्यकता है।

इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी


 प्रमोद दुबे ने कहा कि आज प्रयागराज आकर यहां की साहित्यिक गतिविधियों को देखकर धन्य हो गया। जिसके लिए यह शहर मशहूर है, वह आज स्पष्ट रूप से दिखाई दिया। डॉ. इम्तियाज़ समर ने कहा कि गुफ़्तगू और प्रयागराज ने साहित्य की परंपरा को बरकरार रखा है, यह हमारे लिए गर्व की बात है। मेरी किताब का यहां विमोचन मुझे गौरवान्वित करता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि लिखना आपके प्रगतिशील होने का प्रमाण है, जो व्यक्ति प्रगतिशील होता है, वहीं अपने विचारों कागज पर उकेरता है। प्रमोद दुबे और डॉ. इम्तियाज़ समर की रचनाएं मौलिक, पारदर्शी और समाज को दिशा देने वाली हैं, आज के समय में ऐसे ही लेखन की आवश्यकता है। कार्यक्रम का संचालन अजीत शर्मा ‘आकाश’ ने किया। 

दूसरे दौर में मुशायरे का आयोजन किया गया। नरेश महरानी, अफसर जमाल, प्रभाशंकर शर्मा, संजय सक्सेना, शिवाजी यादव, अर्चना जायसवाल, मुसर्रत जहां, फ़रमूद इलाहाबादी, विजय लक्ष्मी विभा, किरन प्रभा, असलम निज़ामी, भारत भूषण वार्ष्णेय, आसिफ उस्मानी आदि ने कलाम पेश किया।


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