गुरुवार, 29 जुलाई 2021

‘उस नदी के घाट पर ही काफिला रह जाएगा’

लखनऊ के बीएसए विजय प्रताप के सम्मान में काव्य गोष्ठी



प्रयागराज। साहित्यिक संस्था ‘गुफ़्तगू’ की तरफ से 26 जुलाई को हरवारा, धूमनगंज में लखनऊ के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी विजय प्रताप सिंह के सम्मान में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ कवि शैलेंद्र कपिल ने किया, मुख्य अतिथि बीएसए विजय प्रताप सिंह थे। संचालन इम्तियाज अहमद गाजी ने किया। सबसे पहले फरमूद इलाहाबादी ने हास्य-व्यंग्य की शायरी पेश की-‘यार बीबी को खंडर जब कह दिया तो कह दिया/ बरतरफ ख़ौफोखतर जब कह दिया तो कह दिया।’

प्रभाशंकर शर्मा की इन पंक्तियों को खूब सराहा गया-‘मेरे अल्फाज अदब जो भी हैं, दिल से कहता हूं मेरी मां जाने /उससे अपना जो भी रिश्ता है, दर्द कम होगा, बस दुआ जाने।’ शिबली सना ने कहा-‘याद आ रहा है वह जिसे भूला बैठे / आज दिल पे फिर गम के बादल का मौसम है।’ डाॅ. नीलिमा मिश्रा की गजल खूब सराही गईं-‘उल्फत है बेमआनी बिना ऐतबार के / भूले हैं सारे वादे वो अपने करार के।’

इम्तियाज अहमद गाजी के के अशआर यूं थे-‘कुछ सलीका सिखा गईं गजलें / फर्ज अपना निभा गईं गजलें। इश्को-माशूक तक नहीं कायम/ पूरे गुलशन में छा गईं गजलें।’ मुख्य अतिथि विजय प्रताप सिंह ने अलग अंदाज की शायरी पेश की, कहा-‘ बस नदी के पार तक ही लोग लेकर आएंगे / उस नदी के घाट पर ही काफिला रह जाएगा।’ कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि शैलेंद्र कपिल की कविता यूं थी-‘कोई सुबह अजनबी नहीं होती / कोई मुलाकात अजनबी नहीं होती/ संयोग कर्मों के अनुसार उपस्थित होते, प्रयोगों, प्रयासों से जिन्दगी बनती/ छनती और संवरती।’ अंत में अफसर जमाल ने सबके प्रति धन्यावद ज्ञापित किया।

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