मंगलवार, 12 नवंबर 2019

दोहों की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं पंकज

 ‘कौन किसे समझाय’ के विमोचन अवसर पर बोले इब्राहीम अश्क



प्रयागराज। पंकज सिंह राहिब के दोहे इबादत की तरह है, उन्होंने दोहा सृजन में अपने आपको डुबा दिया है। इनके दोहों को पढ़ने के बाद यह स्पष्ट रूप कहा जा सकता है कि इन्होंने अपने आपको दोहों में डुबा दिया है। ये दोहों की परंपरा को शानदार तरीके से आगे बढ़ा रहे हैं। यह बात फिल्म गीतकार और मशहूर शायर इब्राहीम अश्क ने 04 नवंबर की शाम गुफ़्तगू की ओर से बाल भारती स्कूल में बतौर मुख्य अतिथि ‘कौन किस समझाय’ का विमोचन करते हुए कही। 
 कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए गीतकार यश मालवीय ने कहा कि पंकज राहिब के दोहे पढ़़ते हुए लगा कि वे दोहों को ओढ़ते और बिछाते हैं, इनके दोहों से गुजरत हुए लगा कि वास्तविक रूप में दोहे ऐसे ही लिखना चाहिए। श्री यश ने कहा कि इन दोहों को पढ़ने के बाद मैं भी और अधिक दोहा लिखने के लिए प्रेरित हुआ। रविनंदन सिंह ने कहा कि साहित्य बहुत समय लेता है, जब खूब अध्ययन करके सृजन किया जाता है तो लेखनी उभरकर सामने आती है। पंकज राहिब के दोहों को पढ़ते समय यह महसूस हुआ कि इन्होंने साहित्य का गहरा अध्ययन किया है। गुफ़्तगू के अध्यक्ष इम्तियाज़ अहमद गा़़ज़ी ने कहा कि पंकज के दोहे आज के समय के लिए मिसाल है, दोहा लिखने वालों को इनके दोहों से प्रेरणा मिलेगी। कार्यक्रम का संचालन मनमोहन सिंह तन्हा ने किया।
  इस मौके पर संजय मिश्र ‘शौक़’ रेशादुल इस्लाम, अनिल मानव, राम लखन चैरसिया,  अफसर जमाल, डाॅ. नीलिमा मिश्रा, नीना मोहन श्रीवास्तव, शिवशंरण बंधु, नरेश महरानी,  कविता उपाध्याय, आसिफ उस्मानी, संपदा मिश्रा, शिबली सना, शिवाजी यादव, ललिता नारायणी पाठक, परवेज अख़्तर, महक जौनपुरी, रितंधर मिश्रा, सुमन दुग्गल, डाॅ. वीरेंद्र कुमारी तिवारी, असद ़गाजीपुरी, रचना सक्सेना, रेनू मिश्रा, सरिता श्रीवास्तव, रमोला रूथ लाल, राजेंद्र यादव, परवेज अख्तर, असरार नियाज़ी, अभिषेक केसरवानी, डाॅ. संतोष कुमार मिश्र, अशरफ़ अली बेग, वीरेंद्र कुमार तिवारी, मुजाहिद लालटेन, राजेंद्र प्रसाद श्रीवास्तव, केशव सक्सेना, असल ग़ाज़ीपुरी, सेलाल इलाहाबादी, संजय सक्सेना, उमेश श्रीवास्तव, लखन लाल चैधरी, राकेश जायसवाल पीयूष मिश्र आदि मौजूद रहे।

1 टिप्पणियाँ:

बेनामी ने कहा…

अति सुंदर लेख Free Song Lyrics

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