मानव की शायरी में समाज का सच्चा मूल्यांकन: बसंत
पुस्तक ‘अनिल मानव के चुनिन्दा अशआर’ का विमोचन और मुशायरा
प्रयागराज। अनिल मानव हमारे समाज के युवा शायर हैं। इन्होंने ग़ज़ल की शायरी शुरू करने से पहले उस्ताद के ज़रिए इसकी छंद की बारीकी को सीखा है और उसी रूप में अपनी शायरी को ढ़ाला है, इसलिए इनकी शायरी परिपक्व और दोषरहित है। इनकी शायरी की ख़ास बात यह है कि उन्होंने समाज का सही आबजर्वेशन करके उसे शायरी में उतार दिया है। इसलिए इनकी शायरी बोलती है। इन्होंने समाज के दर्द को खूब अच्छी तरह से महसूस किया है और उसे अपनी शायरी में तार्किक ढंग से ढाल दिया है। यह बात उत्तर मध्य रेलवे के मुख्य यात्री परिहवन प्रबंधक बसंत कुमार शर्मा ने कही। 20 अक्तूबर की शाम साहित्यिक संस्था गुफ़्तगू की तरफ से विमोचन समारोह और मुशायरे का आयोजन सिविल लाइंस स्थित प्रधान डाक घर में किया गया।
गुफ़्तगू के अध्यक्ष डॉ. इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने कहा कि अनिल मानव अपनी शायरी में समाज के दर्द और अव्यवस्था को उकेरते हैं। एक तरह से उनकी शायरी अदम गोडंवी की शायरी के काफी करीब लगती है। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में मीडिया स्टडीज़ सेंटर के कोआर्डिनेटर डॉ. धनंजय चोपड़ा ने अनिल मानव के एक शेर का अंश ‘उम्रभर भरते रहो चांबियां विश्वास की’ को प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह शायरी आज के समाज की हक़ीक़त है। शिक्षक हमेशा उपदेश देता है और अगर वह शिक्षक शायर भी हो जोए उसका उपदेश और अधिक तमन्यता से समाज के सामने आ जाता है। यही बात अनिल की शायरी में दिखाई देती है। डॉ. चोपड़ा ने यह भी आज के दौर में जब किताबें बहुत महंगी हो गई हैं, ऐसे में गुफ़्तबू पब्लिकेशन की यह किताब केवल 25 रुपये की है, यह देखकर मुझे बहुत ही प्रसन्नता हुई।
भारतीय डाक सेवा के एडीशनल डायरेक्टर-2 मासूम रज़ा राशदी ने कहा कि किसी भी शायर की पहली किताब का आना उसी तरह से है जैसे परिवार में एक नया सदस्य जुड़ गया। इनकी शायरी समाज और परिवार के कई मुद्दों को रेखांकित करती है। डॉ. वीरेंद्र कुमार तिवारी ने कहा कि अनिल की शायरी आज के समय में सबसे अलग है, इस किताब का अलग ढंग से मूल्यांकन किया जाएगा। नरेश महरानी ने भी अनिल मानव की शायरी की प्रशंसा की।
दूसरे दौर में मुशायरे का आयोजन किया गया। संचालन मनमोहन सिंह तन्हा ने किया। नीना मोहन श्रीवास्तव, शिबली सना, हकीम रेशादुल इस्लाम, धीरेंद्र सिंह नागा, अफ़सर जमाल, आसिफ़ उस्मानी, प्रभाशंकर शर्मा, शशिभूषण मिश्र, अजीत शर्मा आकाश, निखत बेगम, शिवनरेश भारती, विक्टर सुल्तानपुरी, देवी प्रसाद पांडेय, गीता सिंह, असद ग़ाज़ीपुरी और सुजीत जायसवाल आदि ने कलाम पेश किया।